कोमल
दिखावट
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]कोमल ^१ वि॰ [सं॰] [संज्ञा कोमलता]
१. मृदु । मुलायम । नरम ।
२. सुकुमार । नाजुक ।
३. अपरिपक्व । कच्चा । जैसे— कोमलमति बालक ।
४. सुंदर । मनोंहर । यौ॰—कोमलचित्त=वह चित्त जो शीघ्र द्रवित हो जाय । दयापूर्ण चित्त ।
कोमल ^२ संज्ञा पुं॰
१. संगीत में स्वर का एक भेद । विशेष—संगीतच में स्वर तीन प्रकार के होते हैं—शुद्ध, तीव्र और कोमल । षड़ज और पंचम शुद्ध स्वर है, और इनमें किसी प्रकार का विकार नहीं होता । शेष पाँचों स्वर (ऋषभ, गंधर्व, मध्यम, धैवत और निषाद) कोमल और तीव्र दो प्रकार के होते हैं । जों स्वर धीमा और अपने स्थान से कुछ नीचा हो, वह कोमल कहलाता है । धीमेपन के विचार से कोमल के भी तीन भेद होते हैं—कोंमल, कोंमलतर और कोंमलतम ।
२. मृत्तिका । मिट्टी (को॰) ।
३. जातीफल (को॰) ।
४. जल (को॰) ।
५. रेशम (को॰) ।